Anand Lahar Quotes | Sadhguru | Scribble Whatever

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Anand Lahar
Sadhguru (Author of Anand Lahar)

“अगर आप यही कहते रहेंगे कि ‘परिवार में तनाव है, दफ्तर में तनाव है, यातायात भी तनाव है’ तो आप इस दुनिया में रहने की योग्यता नहीं रखते।” (Anand Lahar Quotes)

सद्‌गुरु
आनंद लहर
Anand Lahar Quotes

“आप जिन अनुभवों को कड़वा मानते हैं, लगातार ऐसे कटु अनुभवों का होना आपके लिए हितकर ही हैं। जीवने के छोटे-छोटे सबक सीखने में देर होने से आपकी ज़िंदगी ही तो व्यर्थ जा रही है?”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“इस दुनिया के लिए जो सबसे उत्तम चीज आप कर सकते हैं, वह है खुश रहना। खुद को आनंदपूर्वक रखना ही इस दुनिया को दिया गया सबसे बड़ा तोहफा है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“एक चिड़िया पर कंकड़ मारेंगे तो आसपास के सभी पंछी उड़ जाएँगे। यदि आप किसी व्यक्ति पर गुस्सा करेंगे तो दूसरे लोगों का आप के ऊपर से विश्वास उड़ जाएगा।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“केवल मन के स्तर पर आपने, ‘मैं ज़िम्मेदार नहीं हूँ’ यों प्रतिबंध लगा लिया, इसलिए आपकी उत्तर देने को क्षमता संकुचित होती है, आपमें जीवंतता कम हो जाती है और इसी से शरीर बीमार को जाता है। चेतना भी कम को जाती है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“कोई भी पेड़ या पौधा, जानवर या कीट-पतंग दूसरों को अपनी तरह बदल डालने की योजना नहीं बनाता। यह मनुष्य ही है जो अपने विचारों और सिद्धांतों को दूसरे पर थोपने की कोशिश करता है। जो लोग सहमत नहीं होते उनके साथ रगड़ा शुरू हो जाता है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“चारों तरफ़ दलदल होने पर भी उसी को खाद के रूप में इस्तेमाल करके क्या कमल अपनी पूर्ण सुंदरता में नहीं खिलता? सुगंध नहीं फैलाता? आपका जीवन भी इसी तरह होना चाहिए। चाहे जैसा भी माहौल हो, दृढ़ता के साथ काम करते हुए उसमें से अपने लिए आवश्यक ऊर्जा ले लीजिए।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“जब आपके अंदर मानवता उमड़ पड़ती है तब आपके अंदर देवत्व घटित होता है। उसके बाद आपको ऊपर आकाश को देखकर ईश्वर को ढूँढने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“ज़िंदगी को गँवाकर सुख-सुविधाएँ बढ़ा लेना मरे हुए तोते के लिए सोने का पिंजड़ा बनवाने के बराबर है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“ज़िम्मेदारी के साथ इच्छापूर्वक एक बार साँस लेकर छोड़ें तो भी उसमें असीम आनंद का अनुभव होता है। यह अपने अंदर ध्यान की स्थिति बनाने के लिए आपके द्वारा उठाया गया पहला कदम भी है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“जीवन का स्रोत अपने अंदर घटित होने वाले सभी अनुभवों का स्रोत आपके अंदर ही है। कोई भी अनुभव आप के आंतरिक तल पर ही घटित होता है। आपका प्रेम बाह्य स्थिति में विभिन्न अनुभवों के रूप में प्रकट हो सकता है, लेकिन आपके प्रेम का मूल आपके अंदर ही है। इस्री तरह आपकी शांति का स्रोत भी आपके भीतर ही है। स्वास्थ्य का मूल और आनंद का स्रोत भी आपके भीतर ही है। कुल मिलाकर आप के संपूर्ण जीवन का स्रोत आपके अंदर ही है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“जीवन में इच्छापूर्वक उत्तर देते समय, आपका शरीर, बुद्धि, संवेदना और प्राणशक्ति, ये चारों एक खास तरह की मिठास का अहसास स्थायी रूप से करने लगते है। ऐसा होने पर आप समान्य रूप से बैठे रहने में भी स्वर्ग के समान अनुभव करेंगे। जब आप जीवन में अनिच्छापूर्वक कार्य करते हैं, शरीर, बुद्धि, संवेदना और प्राणशक्ति ये सभी नरक बन जाते हैं। ऐसे में शरीर बीमार को जाता है, मन में थकान होती है, जीवन घुट जाता है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“जो काम आपसे नहीं हो सकता, उसे आप नहीं कर पाए तो संसार आपको क्षमा कर देगा। लेकिन जो काम आपसे हो सकता है उसे भी करने से आप चूक गए तो क्या वह एक अपराध नहीं है?”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“जो व्यक्ति मानता है ‘केवल अपने लिए में ज़िम्मेदार हूँ’ वह कीड़े के समान है। क्रीडा इसी तरह से जीता है उसका लक्ष्य केवल जीवित रहना है। जो अपने जीवन की भी ज़िम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता वह कीड़े से भी हेय है, तुच्छ है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“नरक में जहाँ हिटलर को यातना दी जा रही थी, आइज़न हॉवर को वहाँ ले जाया गया। वहाँ पर गंदगियों से भरी एक टोकरी थी, जो दो आदमियों की ऊँचाई के बराबर लंबी थी। उसी में हिटलर धँसाया गया था। टोकरी के बाहर दिख रहे उसके चेहरे पर चौड़ी मुस्कान थी। यह देखकर आइज़न हॉवर को अचंभा हुआ। ‘‘असहनीय बदबू में, घिनौनी गंदगी में धँसाने के बावजूद क्या सोच कर तुम इस तरह बेशर्मी के साथ हँस रहे हो?’’ आइज़न हॉवर ने हिटलर से पूछा। ‘‘पता है? मेरे ठीक नीचे फँसा आदमी कौन है, वह है मुसोलिनी। उसी के कंधों पर मैं खड़ा हूँ। उसकी दुर्दशा के बारे में सोचकर देखो तो’’ कहते हुए हिटलर कहकहे लगाने लगा।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“बात जब खाने की आए तो आप न सिर्फ अपने शरीर से पूछने की आदत डालें, बल्कि उसकी बात को ध्यानपूर्वक सुनें भी। भोजन के रूप में आपका शरीर क्या चाहता है, क्या खाने से आपके शरीर को प्रसन्नता मिलेगी, उसी चीज को आपको खाना चाहिए। फिलहाल तो यह काम आपका दिमाग तय करता है कि आपको क्या खाना चााहिए और क्या नहीं, जबकि हकीकत में दिमाग का भोजन से कोई लेना-देना नहीं। भोजन का शरीर से है। अगर आप ध्यानपूर्वक शरीर की बात सुनना सीख गए तो जाहिर है आप हमेशा उचित भोजन ही ग्रहण करेंगे। अगर आप इस शरीर का इस्तेमाल एक यंत्र की तरह करना सीख लें तो बेहतर होगा। दरअसल, यह इस धरती का सबसे शानदार और शक्तिशाली यंत्र है। इसी चीज के अहसास का नाम है योग।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“मेरी ज़िम्मेदारी की कोई सीमा नहीं है’ यों कहते हुए निरीक्षण कीजिए। चेतनापूर्वक हर घटना का उत्तर देना होगा। चौबीस घंटे में आपका रक्तचाप कम हो जाएगा। मन में शांति छा जाएगी। प्रेम खिल उठेगा। आनंद का स्रोत फूट पड़ेगा। इसे आप अपने अनुभव में जी सकते हैं।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“राह में पड़े भिखारी की ओर पचास पैसे का सिक्का फेंकते हैं। अगर वह कृतज्ञता से हाथ जोड़े तो वह आपको बुलंदी पर ले जाता है। महज़ पचास पैसे के खर्च में ही वह भिखारी आपके मन को खुश रखने वाले मनोचिकित्सक के रूप में काम करता है। इसके विपरीत, यदि वह उदासीनता बरते, तो बेकार में आपकी भावना घायल होती है। आप उसे कृतघ्न कहकर खुद भी दुखी होते हैं। इसी तरह हरेक चीज़ के लिए आप अपनी अपेक्षाओं को बढ़ा लेंगे तो आपका हर काम बोझ बन जाएगा। अनावश्यक रूप से ज़िंदगी जटिल हो जाएगी। भीख देने से आपका फर्ज खत्म हो जाता है। उसके बाद वह उसका पैसा है। उसके लिए धन्यवाद देना या न देना उसकी मर्जी है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“विश्व की सारी घटनाएँ परस्पर अंतःक्रिया के परिणाम हैं। जैसे भी हो, आप जवाब असीम होकर ही देते है! उसे इच्छापूर्वक निभाना है या इच्छा के विना निभाना है, इसी का चयन करना आपके हाथ में है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“सबसे ऊंची पायदान पर विराजमान मानव की भाँति जीने का मतलब है, पूर्ण मानव के रूप में जीने का मतलब है, असीम उत्तरदायित्व-भावना के साथ जीना।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“समस्याओं का जन्मस्थान आपका परिवार या दफ्तर नहीं है, बल्कि वह आपका मन ही है। आपका मन जिसे एक अद्भुत उपकरण के रूप में काम करना था, वह नालायक उपकरण बन गया है। मनचाही चीजें देने वाला साधन पीड़ा देने वाला साधन बन गया है।”

सद्‌गुरु
आनंद लहर

“स्मृतियों के प्रभाव से उठने वाली पक्षपातपूर्ण प्रवृत्ति कुछ बातों को अच्छी और कुछ बातों को बुरी के रूप में आपको दिखाती है। यही आपका कर्म है।”

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आनंद लहर
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